सात फेरे हम तेरे - भाग 1 RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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सात फेरे हम तेरे - भाग 1


ये कहानी ऐसे दो लोगों की है कि एक एहसास में पुरी आस , प्यार का इज़हार किए बिना भी प्यार निभाना बहुत बड़ी बात है। एक दूसरे को देखे बिना क्या कोई प्यार कर सकता है।। प्यार का नाम बलिदान, प्यार में वो ताकत है जो पुरी कायनात एक तरफ और प्यार करने वाले दो प्रेमी एक तरफ।।

हां ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है दोस्तों प्यार का नाम सिर्फ पाना ही नहीं बल्कि त्याग, बलिदान, भरोसा, पागलपन भी है और एक ऐसा पागल पन की अपनी जिंदगी के बारे में ना सोच कर सिर्फ उसे ही सारी खुशियां देना‌ और उसके सारे दुखों को अपना बना लेना ये भी प्यार है।

कानपुर शहर में एक बहुत ही होनहार , जिंदादिल युवक जो कि तरह तरह के तस्वीरें बनाता है और तस्वीरें ऐसा बनाया था कि जैसे तस्वीरो में जान आ गई हो।पर शायद उसे किसी का इंतज़ार है अब तक वो आई नहीं है तभी तो तस्वीरें भी अधुरी सी लगती है।


रोज की तरह एक प्याली चाय के साथ निलेश सुबह की शुरुआत करता था। निलेश का उसकी बड़ी बहन माया दीदी के सिवा कोई नहीं था। मां का स्थान दिया था निलेश ने।

माया ने कहा भाई तू नाश्ता कर लेना मुझे स्कूल जाने में लेट हो गया।

निलेश ने बोला माया दी आप को मेरी चिंता है पर खुद की नहीं? ऐसा क्यों करती हो आप। लंच बॉक्स लिया ?

माया हंस कर बोली - हां मेरे भाई। अच्छा चलो बाय।

निलेश ने हाथ हिलाकर कर अभिनंदन किया। फिर अपनी पेंटिंग की दुनिया में खो गया।

कुछ देर बाद बेल बजाने लगा।

निलेश ने दरवाजा खोला । बिमल तू यहां क्या हुआ? निलेश ने पूछा।

बिमल बोला - अरे भाई वह अपना अतूल , उसका दुर्घटना हो गया।

निलेश - अरे कैसे ? चल,चल जल्दी।

फिर दोनों निकल पड़े। फिर आटो रिक्शा चालक से बोला सीटी अस्पताल चलने को। अस्पताल पहुंच कर ही निलेश दौड़ने लगा।

फिर नर्स से पूछ कर ओ टी के बहार खड़ा हो गए दोनों। तीनों जिगरी दोस्त थे बचपन से ही।

तभी एक नर्स आ कर बोली- अतुल के घर से कौन है?

निलेश बोला- मैम मैं हूं बोलिए।

नर्स - अरे ! उसके माता-पिता नहीं है?

निलेश बोला - मैम वह अनाथ है, पर मैं हु ना। मुझे बोलिए।

नर्स बोली - अच्छा ,उसका आपरेशन चल रहा है उसको ब्लड की जरूरत है क्या ओ पोजीटीव मिल सकता है?

निलेश हां, हां मेरा ब्लड सेम है।मैम प्लीज़ मेरे दोस्त को बचा लिजिए।

नर्स ने कहा- चलो फिर तुम्हारा जांच होगा।

फिर निलेश अंदर नर्स के साथ गया।

फिर कुछ घंटे बाद अतुल को बेड दिया गया।

निलेश और बिमल दोनों अतुल से मिलने पहुंचे।

अतुल धीरे से बोला- कितना और करेगा दोस्त ये कर्ज तो कभी नहीं चुका पाऊंगा।

निलेश बोला - क्या यार रूलाऐगा क्या? कैसे हुआ यह सब?

बिमल बोला- बड़े लोगों की आंखें नहीं होती ना?

निलेश तो क्या कार का न. नोट किया?

बिमल - नहीं कर पाया।

निलेश गुस्से से कहा- ओह माई गॉड।

नर्स ने कहा अब आप लोग जा सकते हैं।

इनको आराम करने दिजिए।

बिमल और निलेश रुम से बाहर आ गया।
नर्स ने कहा ये सारी दवाई अभी लेकर आइए। निलेश ने कहा चल दवाई लेकर आते हैं और कुछ फल भी। नाश्ता भी करना था यार विमल ने कहा। निलेश ने कहा हां ठीक है चल तुझे कचौड़ी खिलाता हूं।

फिर निलेश दवा के दुकान में गया। और तभी
पहले नाश्ता करने चले विमल ने कहा। निलेश ने कहा हां बाबा चल । फिर बाहर निकल कर एक दुकान पर दोनों ने नाश्ता किया और फिर वहां से सीधे दवाई के दुकान पर गया।और तभी वहां पर ऐसी हलचल हुआ कि निलेश को पीछे मुड़ने पर मजबूर किया किसी की खनकती पायल ने , किसी की छन-छन करती चुड़ियों ने ।

निलेश ने देखा कि एक चंचल मन सी लड़की चली जा रही थी।


निलेश देख कर बोला - भगवान ने कितना फुर्सत से बनाया है,उसका नाम क्या है? फिर वो अचानक भीड़ में कहीं ओझल हो गई।
निलेश सोचने लगा कि मैं क्या कर रहा हूं।


बिमल ने कहा -अरे मेरे दोस्त कहा था यार ? अब चल दवाई लेकर चले। मुझे तो फिर से भुख लगी है।

निलेश ने कहा- घर चल माया दी ने पनीर कोफ्ते ,जीरा राइस बनाया है।
बिमल - अच्छा ,चल फिर। निलेश ने कहा तू रुक पहले दवाई देकर आता हूं। और फिर जब अन्दर पहुंच कर नर्स को दवाई देने लगा तो फिर वही पायल की झंकार सुनाई दिया और फिर इधर उधर उसे देखने लगा पर कहा ओझल सी हो गई वो। नर्स ने कहा हां ठीक है चलो अब जाओ। निलेश जैसे ही जाने लगा तो उसे लगा कि कोई सफ़ेद रंग के लिबास में उसके बगल से निकल सा गया उसकी वो दुपट्टा शायद मुझे छू कर निकल सा गया।पर वो नहीं दिखी। निलेश ने कहा ये क्या हो रहा है मुझे।।


घर पहुंचते ही माया दी ने कहा- मुझे बंटी ने बताया ,मैं तुम्हें फोन करने जा रही थी।
निलेश बोला - दी सब ठीक है लेकिन हमें बहुत भूख लगी है।
माया बोली - हां , जल्दी से फ्रेश होकर आ जाओ। मैं खाना लगाती हूं ,

फिर दोनों नहा कर फ्रेश होकर आते हैं। और आपस में बातचीत करने लगते हैं।


माया ने तीन थाली लगाया । रोटी में घी लगाकर और पनीर कोफ्ते को और जीरा राइस को ओवन में गरम कर के डाइनिंग टेबल पर थाली लगा दिया।


बिमल - वाह ! क्या खुशबू है। माया हंस कर बोली - चलो शुरू करो भाई।
निलेश ने कुर्सी को पीछे करते हुए कहा - हां दीदी ।
फिर खाते हुए निलेश ने सब कुछ बताया।
माया सुनकर बोली - अच्छा किया भाई।
भगवान तुम सब की रक्षा करें।बिमल बोला- मन भर कर खा लिया खाना।

माया ने कहा - ये टिफिन लेकर जाना तेरे लिए रात के डिनर के लिए पनीर कोफ्ते दिया है।


बिमल मुस्कुरा कर बोला- क्या दी आप तो मेरे मुंह की बात कही है। थैंक्स दी।

माया ने कहा अब थैंक्स बोलेगा मुझे,बचपन से देख रही हूं।
बिमल बोला नहीं बोलुंगा दीदी। चलो अब चलते हैं कल मिलते हैं।
फिर निलेश अपने रूम के बालकनी में जाता है।
ये क्या सामने वाले मकान में कोई आया है ? लाइट जल रही हैं।
निलेश मन में बोला अच्छा हुआ कोई तो आया वरना विरान सा लगता था ।
माया आवाज लगाई - भाई हल्दी वाला दूध रखा है पी कर सो जाओ। निलेश बोला - हां दी,शुभ रात्रि।


माया ने भी अभिवादन करते हुए अपने रूम में चली गई।

फिर निलेश भी दूध पीकर सो गया।


सुबह जल्दी उठने की आदत हमेशा से निलेश और माया को थी।

माया दो प्याली चाय के साथ निलेश के रूम के बालकनी में टेबल पर चाय रख दिया और दोनों भाई बहन कुर्सी पर बैठ गए।


फिर चाय की चुस्की के साथ दिन की शुरुआत किया।


क्रमशः।